भारत आजाद देश है। असंख्य स्वतन्त्र सेनानियों ने अपना जीवन न्याछावर इसलिए किया था कि भारत का हर नागरिक सर उठाकर जी सके , आजादी से निर्भय हो कर घूम फिर सके। आज भारत का सर शर्म से झुक गया है । बहु बेटियां सुरक्षित नहीं है। निर्भय हो कर महिलाएँ कहीं आ जा नहीं सकती । कहीं रेप ,कहीं छिना झपटी ,कहीं चोरी ,डकैती ,कहीं गुंडागर्दी ,जहाँ देखो वहीँ भय ,दहशत का वातावरण। क्या इसी पर हम गर्व करते हैं? कहते है "भारत महान?"
सीधा साधा जनता को गाय बकरियों की तरह हाँका जा रहा है। जिस नेता को , अपने रक्षक समझ कर चुन कर भेज था वह अब भक्षक बन गया है।वे केवल अपने फ़ायदे की बात सोचते है। अपनी रक्षा के लिए उन्हें जेड सुरक्षा चाहिए परन्तु जनता की सुरक्षा के लिए पर्याप्त मात्रा में पुलिस भी नहीं है । जनता के भलाई के लिए कोई बिल संसद पेश होता है तो उसमे हजारों अड़ंगे डाल दिया जाता है। सत्ता पक्ष और विपक्ष मिलकर ये ड्रामा करते हैं और जनता को वेवकुफ़ बनाते है। लेकिन जब उनकी वेतन और भत्ते की बिल आती है तो बिना किसी विरोध के एक ही दिन में पास हो जाता है। क्या ये लोग कभी सच्चे मन से जनता की भलाई की बात सोचते है? शायद नहीं। संसद में और संसद के बाहर एक पार्टी अपने को भारतीय संकृति का रक्षक कहता है,दूसरा पार्टी सेकुलरिज्म का राग अलापता ,तो तीसरा पार्टी समाजवाद का नारा लगता फिरता है। वैसे ही जो और पार्टियाँ है अपनी अपनी ढपली बजाते रहते है। लेकिन क्या रेप , छिना झपटी , चोरी ,डकैती , गुंडागर्दी इन पार्टियों का कॉमन एजेंडा है? यदि नहीं तो जैसे अपने वेतन,भत्ते के बिल पास करते वक्त विरोध भुलाकर एक हो जाते है वैसा इन असमाजिक तत्तो को आजीवन कारावास या मृत्युदंड देने का कानून सर्व सम्मति से क्यों नहीं पास करते?कहीं ऐसा तो नहीं कि ये गुण्डे बदमास इन्ही के पालतू जीव हैं।कानून बनने पर इक्का दुक्का आवाज उठाने की आवश्यकता ही नहीं होगी।कानून पास होने पर अदालत आगे का काम करेगी।
श्री अन्ना हजारे और उनके साथियों द्वारा बनाया गया जन लोकपाल बिल का मसौदा पूरा हिन्दुस्थान ने देखा । यह बिल सच्चे अर्थ में आम जनता की भलाई के लिए बनाई गई थी और भ्रस्टाचारी नेता और भ्रस्टाचारी कर्मचारी के खिलाफ थी ,इसलिए सभी नेता मिलकर इसे स्वीकार नहीं किया। यदि सभी विपक्षी पार्टी एक मतसे उसे स्व्वीकर कर लेते ओ सत्ता पक्ष को भी स्वीकार करना पड़ता। अभी जो सरकारी लोकपाल है ,यह भ्रस्टाचारी को पकड़ने के लिए नहीं वरन उसे बचाने केलिए है। इसमें जलेबी जैसे पेंच है और भ्रस्टाचारी उसी पेंच में सुरक्षित रहेगा ,उसे कभी दंड मिलेगा ही नहीं। आम जनता सरकार की चालाकी समझ चुकी है।
दिल्ली में दामिनी रेप केस को लेकरआज पूरा देश हिला हुआ है। लड़कियों में उग्र आक्रोश है।महिलाये ,विद्यार्थी ,आम जनता जगह जुलुस निकल रहे है, नारे लगा रहे हैं। रेपिस्ट को मृत्युदंड की मांग कर रहे है। क्या अब भी हमारे सांसद सोये रहंगे या एकमत हो कर शक्त कानून बनाकर अपराधी को दंड देने में मदत करेंगे? या फिर जैसे हर रेप में ज़ोरशोरसे संसद में आवाज उठती है ,शांत हो जाती है और एक रेप फिर होता है। क्या वही जरी रहेगा और इन्तेजार करेंगे एक और रेप की ? ऐसा लगता है कि सांसद अपनी ड्यूटी केवल संसद में आवाज उठाने तक सिमित कर लिया है। विपक्ष के नेता ने रेपिस्ट को मृत्युदंड की मांग की। लेकिन जब संसद में कानून नहीं बनायेंगे तो जज अपने मन से मृत्युदंड तो नहीं दे सकता। इसलिए कानून ऐसा बनाए कि जज के पास मृत्युदंड देने के सिवा आप्शन न रहे। ऐसे सजा प्राप्त अपराधी की सजा माफ़ करने का अधिकार राष्ट्रपति को भी नहीं होना चाहिए अन्यथा पहुँच वाले लोग छुट जायेंगे। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ,अंतिम मान्य निर्णय होना चाहिए।
कालीपद "प्रसाद"
सर्वाधिकार सुरक्षित
इसलिए कानून ऐसा बनाए कि जज के पास मृत्युदंड देने के सिवा आप्शन न रहे।
ReplyDeleteसही कहा आपने जी
Deletei am agree with u....
ReplyDeletesahi kaha hai aapne
ReplyDeleteमेरे विचार से सहमत होने के लिए आप सबको धन्यवाद :आभार
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